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छात्रशक्ति दिसंबर 2020

संपादकीय

परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन गत वर्ष आगरा में हुआ तो अनेक स्तरों पर विविध कार्यक्रमों की योजना बनी थी। उनकी पूर्ति के लिये आगे बढ़ना प्रारंभ ही किया था कि विश्वव्यापी आपदा के रूप में कोरोना प्रकट हुआ। कोरोना के पीड़ितों की सेवा-सहायता का दुष्कर कार्य भी परिषद कार्यकर्ताओं के जिम्मे आ गया।

परस्पर मिलना-जुलना, कार्यक्रमों के लिये एकत्र होना प्रतिबंधित, स्कूल-कॉलेजों में अवकाश और अनिश्चितता का वातावरण। रोजगार खो चुके साधनविहीन लोग हजारों की संख्या में पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े। मानवनिर्मित विभीषिका का यह त्रासद रूप था। समाज के सहयोग से संगठन के कार्यकर्ताओं ने अपनी शक्ति को सेवा कार्यों में लगा दिया। व्यथित मजदूरों के भोजन-स्वास्थ्य आदि की चिन्ता करने के साथ ही एक समय के बाद स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी बाधित न हो इसलिये कार्यकर्ताओं ने बस्तियों में जाकर पाठशालाएं चलानी शुरू की।

किसी भी छात्र-संगठन से इस प्रकार की गतिविधियों की आशा विश्व में कहीं नहीं की जाती किन्तु “आज का छात्र-आज का नागरिक” की संकल्पना देकर परिषद ने आज के प्रश्नों पर रचनात्मक हस्तक्षेप को अपनी कार्यपद्धति में शामिल किया। इस नीति के चलते ही अभाविप के कार्यकर्ता प्राकृतिक अथवा मानवनिर्मित किसी भी आपदा के समय अग्रिम पंक्ति में सेवारत दिखे।

इस बीच प्रौद्योगिकी का सफल प्रयोग करते हुए न केवल सांगठनिक गतिविधियों की निरंतरता को बनाये रखा गया अपितु वेब माध्यमों का उपयोग कर वैचारिक प्रबोधन के भी बहुविध प्रयास हुए। बड़ी संख्या में वेब संगोष्ठियों के माध्यम से कार्यकर्ता विकास प्रक्रिया को गति दी गयी तथा सामान्य विद्यार्थियों को राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर विमर्श में सहभागी किया गया।

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कोरोना के प्रकोप से पूरी तरह से बाहर आने के पूर्व ही कुछ राजनैतिक दलों तथा अराजक तत्वों की दुरभिसंधि के चलते उत्तेजित किसान पहले रेल पटरियों पर और बाद में दिल्ली की सीमाओं पर आ डटे। यद्यपि पंजाब के कुछ हिस्सों को छोड़ कर अपने इरादों में इन्हें सफलता नहीं मिली किंतु अपनी रणनीति के तहत उन्होंने इसे वैधानिक प्रावधानों में अपेक्षित सुधारों के बजाय किसान स्वाभिमान का विषय बना दिया है। तमाम कठिनाइयों तथा विपरीत मौसम के बीच भी किसान संयम बनाये हुए हैं किन्तु परदे के पीछे से काम करने वाली इन शक्तियों को किसानों का धैर्य टूटने का इंतजार है  ताकि उनकी आड़ में वे पिछले वर्ष हुए सीएए के विरुद्ध आंदोलन जैसी किसी घटना को दोहरा सकें। निस्संदेह इसका सर्वस्वीकार्य हल निकाल कर इस प्रकरण को समाप्त करना होगा।

इस वर्ष जहाँ हमें श्री भोलानाथ विज और श्री हेमन्त विश्नोई जैसे अनेक पूर्व कार्यकर्ताओं का वियोग सहना पड़ा वहीं ऊर्जावान कार्यकर्ता और वर्तमान में राष्ट्रीय मंत्री का दायित्व निर्वाह कर रहे अनिकेत ओह्वाल भी हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करे।

सीमित संख्या का राष्ट्रीय अधिवेशन नागपुर में होने जा रहा है जिसमें नयी परिस्थिति में नयी कार्ययोजना बनेगी। युवादिवस की हार्दिक शुभकामना सहित,

आपका

संपादक

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