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छात्रशक्ति जनवरी 2022

संपादकीय

जनवरी 2022

दुनियाँ के सामने कोरोना की तीसरी लहर गंभीर चुनौती के रूप में आ खड़ी हुई है। भारत भी इसका सामना करने के लिये तैयारी कर रहा है। पिछली दो लहरों ने दुनियां के तमाम देशों की आर्थिक चूलें हिला दी हैं। ऐसे में तीसरी लहर का सामना करना बहुत कठिन है, लेकिन इसके अतिरिक्त कोई विकल्प भी नहीं है।

कोरोना की विभीषिका जब प्रकट हुई तो भारत ऐसी किसी आपदा के लिये तैयार नहीं था। सात दशकों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति सांकेतिक ही थी। अचानक आयी मानवनिर्मित इस विपत्ति का सामना करने के लिये शेष विश्व की भांति ही भारत को अपने सारे संसाधन झोंकने पड़े। इसके बावजूद भी पहली और दूसरी लहर, विशेषकर दूसरी लहर का व्यापक असर हुआ। देश में शायद ही कोई स्थान रहा हो जहां के लोगों को जान-माल का नुकसान न उठाना पड़ा हो। संगठन के अनेक कार्यकर्ता भी हमसे बिछुड़ गये।

यह संतोष का विषय है कि भारतीय समाज ने इस विभीषिका के आगे घुटने टेकने के बजाय उसका डट कर मुकाबला किया। राष्ट्रीय नेतृत्व देश का आत्मविश्वास बनाये रखने में सफल रहा। संक्रमण से जूझते हुए स्वास्थ्य ढ़ांचे को मजबूत करने की जिम्मेदारी निभाने में सरकार को स्वयंसेवी संस्थाओं का अपार सहयोग प्राप्त हुआ। छात्र-युवाओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर भी सेवाकार्यों की श्रंखला को अटूट बनाये रखा। एक राष्ट्र के रूप में हम इस वैश्विक आपदा का सामना करने में सफल रहे।

पिछली दो लहरों का सामना करने के लिये देश को अपने संसाधनों का बहुलांश निवेश करना पड़ा। पटरी पर आती अर्थव्यवस्था के लिये कोरोना की तीसरी लहर कठिन स्थिति उत्पन्न करेगी। लेकिन इससे लड़ने और जीतने के अलावा कोई विकल्प दुनियां के पास नहीं है। पहले से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ आत्मविश्वास से भरा भारत इस चुनौती से भी यशस्वी होकर निकलेगा, यह विश्वास है।

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