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अभाविप के 75 वर्ष की उपलब्धियां और आगे की दिशा

प्रा. मिलिंद मराठे

“अभाविप के 75 वर्ष की उपलब्धियां और आगे की दिशा’’ विषय बड़ा व्यापक है । देखते-देखते विद्यार्थी परिषद के क्रियाकलापों के 75 वर्ष में हम प्रवेश कर रहे है, 74 वर्ष हो गये । We Completed 74 meaningful years of our existence on this “Mother Earth.” मैं सोच समझ कर “भारत” नहीं कह रहा हूं, “Mother Earth” कह रहा हूं। इसका एक वैश्विक संदर्भ भी हैं। इसलिए कह रहा हूं। हम कौन हैं ? हमारा मूल क्या है ? विद्यार्थी परिषद की विरासत क्या है ? 75 वर्षों में हमने क्या किया है ?  जब कभी हम हमारी उपलब्धियों कि बात करते हैं तो यह बात हमारे मन से कभी ओझल नहीं होनी चाहिए कि कुछ कमी तो नही रह गई, इस पूरे प्रवास में कुछ बातें छूट तो नहीं गई, कुछ बातें हम कम तो नहीं कर पाए,  इस बात को ध्यान में रखना पड़ेगा। क्योंकि इसी से विद्यार्थी परिषद के आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। विद्यार्थी परिषद के स्थापना की भूमिका क्या है ?  दो-तीन बाते में आप सबके सम्मुख कहना चाहूंगा।

1) सबसे पहली बात है कि हमारा अडिग विश्वास है । किस पर हमारा अडिग विश्वास है ?  भारत की एकता और संप्रभुता अत्यंत पवित्र और non negotiable है Can Not Negotiate Anything About National Unity and Integration Nation It is very much  sacred pious. हमने important शब्द का प्रयोग नहीं किया। हमने it’s  sacred शब्द का प्रयोग किया क्योंकि भारत की एकता और संप्रभुता हमारे लिए अत्यंत “पवित्र” केवल महत्वपूर्ण नहीं है और non negotiable है।  इसका मोल-भाव नहीं हो सकता। कई उदाहरण हमने देखे हैं। 1962 के चीन आक्रमण में हमारे द्वारा किया हुआ रक्तदान हो, 1990 के कारगिल युध्द में हमारे द्वारा निभाई गई भूमिका हो, इतना ही नहीं जब-जब देश को तोड़ने वाली कोई भी शक्ति सर उठाती है, हमने उसके खिलाफ संघर्ष किया है । क्योंकि National Unity and Integrity is Sacred and Non Negotiable.  केवल 3 बीघा जमीन हो, चिकननेक जैसा विषय हो, बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के बारे में छेड़ा हुआ Save Asam का आंदोलन हों, यह सभी बाते उससे उत्पन्न होती हैं। । चिकननेक में तो हमने यह कहा कि जो भी illegal migrants है Detect Delete and Deport.

2) दूसरी, हमारी महत्वपूर्ण बात है और हमारा विश्वास है कि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का लक्ष्य अकेले से नहीं होगा । ना कोई चंद मुट्ठी भर इंटेलेक्चुअल्स, थिंकटैंक्स, पॉलिसी मेकर्स या समाज का कोई एक विशिष्ट वर्ग, जैसे दुनिया के किसान मजदूर एकत्र हो जाओं और हम सब बदल देंगे।नहीं संभव है, तो राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का लक्ष्य भी कोई भी एक वर्ग नहीं कर पाएगा । भारत के प्रत्येक व्यक्ति के जन सहभागिता से ही यह संभव है । यही राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने का एकमात्र विकल्प है। इसीलिए जब हम देखेंगे पिछले 74 वर्षों पर विद्यार्थी परिषद ने हमेशा सहभागी दृष्टिकोण(participative approach) के साथ कई प्रकार के कार्यक्रम किए है । इसलिए हम गीतो में बोलते हैं कि एक के दश लक्ष्य होकर कोटियों को है बुलाना, क्यों बोलते है ? हम यह नहीं कह सकते कि हम मुट्टीभर बुद्धिजीवि (Intellectual) है, हार्वर्ड जैसे इधर-उधर से पढ़-लिख कर आए हैं, हम स्थिति को संभाल सकते हैं (we can handle the situation) विद्यार्थी परिषद का यह विश्वास है कि Participatory efforts of every individual in developing a nation and transformation of the nation is important  और यह क्यों ?  समान्य बात है कि हम देश को माता मानते हैं और माता के हम सहोदर पुत्र हैं ।

3)तीसरा, विश्वास क्या है ?  तीसरा हमारा विश्वास है कि National Reconstruction Is Our Life Mission. न अन्य: पंथः कोई दूसरा मार्ग नहीं है, It is the too Long Way,  but if it is the only way then it is the  Shortest. इसलिए One Life One mission is the only way.  इसीलिए यही हमारा एकमात्र मार्ग है । इसीलिए One Life One Mission. आज इस पंडाल में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं के लिए यह सोचना होगा कि मेरे जीवन का मिशन क्या होगा? मैं मानता हूं कि हरेक व्यक्ति एक प्रकार का काम नहीं करता हैं, क्योंकि समाज में परिवर्तन के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने की आवश्यकता है। जो समस्या, जो बिंदु मेरे हृदय को छू जाता है उस किसी भी एक बिंदु विषय को लेकर जीवन पर्यंत काम करेंगे, निस्वार्थ रूप से काम करेंगे, सामाजिक भाव से काम करेंगे, Nation First Attitude से काम करेंगे, One Life One Mission पर हमारा विश्वास है।

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विद्यार्थी परिषद की कुछ प्रतिबद्धताएं भी हैं –

1)       हजारों वर्षों की समृद्ध परंपरा, सभ्यता, भारतीय जीवन दर्शन ही हमारे प्रत्येक  कृति का प्रेरणास्रोत है। भारतीयत्व, Indianness  और भारतीय दर्शन ही हमारी सभी समस्याओं को हल करनें में सक्षम  हैं।

किस बात पर हमारी प्रतिबद्धता है, किस बात पर हमारा कमिटमेंट है, हमारा कमिटमेंट है कि हजारों वर्षों से समृद्ध परंपरा सभ्यता हमारा भारतीय दर्शन यही हमारे प्रत्येक कृति का प्रेरणा स्रोत है। We  drive Inspiration from our Age Old Civilization and philosophy  of bhaaratiyatva  with rich heritage and which Is capable of solving All Types Of Complex Problems not only of  this Country but of the World. यानी भारतीयत्व (इंडियननेस) ही हमारी प्रत्येक कृति का प्रेरणास्रोत है। इसलिए हम दीप प्रज्ज्वलन करते हैं । हम केक नहीं काटते, केक काटना गलत है क्या ? केक काटना गलत नहीं हो सकता लेकिन हमारी पद्धति में वह नहीं है । मै इंजीनियरिंग कॉलेज का प्राध्यापक हूं, तो किसी एक ने पूछा कि आप दीप प्रज्ज्वलित करते हैं, आज के जमाने में इलेक्ट्रिकल लैंप रिमोट कंट्रोल से क्यों नहीं जलाते ? वही पुरानी दीया बाती, तेल और ज्योति से लगाना आप पिछड़े हुए नहीं लगते ? इस advance era of टेक्नोलॉजी के समय? तो क्या आपको नहीं लगता हम ये नहीं कर सकते ? हम मोबाइल स्विच ऑन करके एबीवीपी के  गीत सॉन्ग का launching हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष, महामंत्री कर सकते हैं तो रिमोट कंट्रोल करके लाइट ऑन करना हमको आता नहीं है ?  ऐसा लग रहा है लोगो को?Actually ABVP use modern technology  लेकिन दीप प्रज्ज्वलन रिमोट से नहीं। हमने उनको कहा कि भारतीय संस्कृति का कार्य हमारे किसी भी कृति का मूल प्रेरणा स्रोत है क्योंकि हम हमारी ज्योति से जो प्रज्ज्वलित है वही दीप दूसरे दीप को प्रज्ज्वलित कर सकता है । एक 40 watt के बल्ब को दूसरे बल्ब के साथ जोड़ दो तो वह प्रज्ज्वलित नहीं होता। दूसरे के कंट्रोल में भी उसका जलना निर्भर नहीं रहता।  खुद जल कर लोगों को प्रकाश देना हमें यह दीप सिखाता है । इसलिए आज भी वही पुरानी दीया-बाती, तेल और ज्योति जो स्वयं प्रकाशी है स्वयं जलकर दूसरे को प्रकाश देती, दूसरे को प्रज्जवलित भी कर सकती  और Controlled from remote नहीं । इसीलिए ऐसी प्रत्येक कृति की प्रेरणा भारतीय संस्कृति ,कल्चरल हेरिटेज, विजडम यह सब बातें हमारी है । हमारी सभी समस्याओं का हल करने की ताकत भारतीय दर्शन में है लेकिन वह जो Indianness  है, भारतीयत्व है, उसका आत्मा क्या है ? वह आत्मा है धर्म । मुझे बताया गया है कि हमारे उद्घाटन करता आदरणीय कैलाश सत्यार्थी जी ने शायद हमारे वेबसाइट पर देखकर धर्म शब्द का उल्लेख किया। विद्यार्थी परिषद का इस वक्त Clear Vision About Our Dharma. क्योंकि भारतीयत्व का आधार धर्म हैं। अपने सर्वोच्च न्यायालय का बोध वाक्य क्या है ?  “यतो धर्म:स्ततो जयः” । हमारे भारतीय संसद जहां देश भर के करोड़ों नागरिक प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं वे प्रतिनिधि संविधान के अनुसार भारत को चलाते हैं। उस संसद का बोध वाक्य क्या है – “धर्म चक्र प्रवर्तनाय” है, यह ऐसे ही नहीं है। धर्म का मतलब पूजा पद्धति नहीं है, मैं शिव को पूजता हूं कि मैं ऋषि को पूजता हूं कि मैं अल्लाह को पूजता हूं कि मैं दशमेश गुरु साहिब को पूजता हूं कि मैं गुरु ग्रंथ साहिब को मानता हूं यह नही है, बहुत सटीक शब्दों में धर्म की व्याख्या जो विद्यार्थी परिषद ने मानी है वह है

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धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचं इन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ।

इन तत्वो को आधार रख कर हमने विद्यार्थी परिषद के 74 वर्षो के क्रियाकलापो को चलाया है ।

2)       राष्ट्रीय चेतना व स्वयं के प्रति आत्मसम्मान के भाव को जगाना ही देश के विकास और सामाजिक परिवर्तन की पूर्व शर्त हैं।

3)       जागरूक सामाजिक दर्शक(social watch – dog) सामाजिक आलोचक(सोशल critic) और सामाजिक निवारक (social deterent) की भूमिका से अभाविप प्रश्नोंको सुलझाने हेतु काम करेगी। समाधान की ओर जाना। We are solution oriented।

अब कोई बोलता है कि विद्यार्थी परिषद की उपलब्धियां क्या है ? मैं तो यह मानता हूं कि इन 74 वर्ष की सबसे पहली उपलब्धि है कि

1) विद्यार्थी संगठन का छात्र आंदोलन का “दर्शन” अपने समाज के सम्मुख रखा और केवल समाज के समक्ष नहीं रखा उसको प्रत्यक्ष जी कर दिखाया। वो भी 2/4 वर्ष नहीं लगातार, निरंतर 74 वर्ष। सतत वृद्धिंगत,वर्धिष्णु,गुणासंपन्न, सर्वे व्यापी, सर्वस्पर्शी बनाया हैं। विद्यार्थी परिषद कि कितनी ही पीढ़ियां बदल गई परंतु आज का विद्यार्थी परिषद भी उसी भाव के साथ मुख्य विचार को लेकर काम कर रही है ।

दूसरा, केवल मैं अस्तित्व (Existence) की बात नहीं कर रहा हूं यह अस्तित्व (Existence) लगातार गुण सम्पन्न होता गया है। सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी बना है, कभी इसके दो टुकड़े नहीं हुए । मूझे कभी-कभी लगता है कि This is Time tested successful Model of students organisation. और एक दावा तो विद्यार्थी परिषद कि उपलब्धियां कहते समय मैं करना चाहुंगा कि विश्व के किसी भी देश में किसी को भी आदर्श छात्र संगठन  खड़ा करना है तो उसे अपने  interns को अभाविप में भेज देना चाहिए। दो साल के लिए। दो साल बाद जब वह अपने देश में जायेगा तब वह अभाविप की कॉपी नहीं करेगा । इस तत्व को लेकर उसी देश की मिट्टी से निकले हुऐ विचार को लेकर उस देश के अनुकूल एक आदर्श छात्र संगठन अभाविप की प्रेरणा से वह खड़ा कर सकता है । यह एक विचार जो टाइम टेस्टेड़ मॉडल है । यह अभाविप ने समाज के सामने रखा और यह एक बड़ी उपलब्धि हैं ।

2)दूसरी हमारी उपलब्धि क्या है ? हमने छात्रों का विश्वास अर्जित किया है कि किसी भी शैक्षणिक समस्या का समाधान अभाविप के पास हैं । कोरोना काल में कैंपस बन्द हो गये थे, शोधार्थी अपना कार्य सही से नही कर पा रहे थे तो अभाविप ने मांग की थी कि थिसिस सबमिट करने की तिथि को एक साल के लि बढा देना चाहिए ।  Students – United – Will Always be Victorious. यह विश्वास हमने छात्रों के मन में उत्पन्न किया और यह करते समय हम नहीं कहते थे कि यह समस्या दो मिनट में सुलझा देंगे, हम कहते थे कि विद्यार्थी परिषद का कमिटमेंट रहेगा। अत्यंत प्रमाणिकता के साथ विद्यार्थी परिषद आपके लिए संघर्ष करेगा। प्रशासन से दबेगा नहीं । यह विश्वास छात्रों को है कि ज्ञापन, धरना, प्रदर्शन, आरटीआई, कोर्ट में जनहित की याचिकाएं हर संभव अभाविप प्रयास करेगा और आपकी समस्याओं को लॉजिकल एंड तक ले जाने के लिए आपके साथ संघर्ष करेगा। इसलिए छात्र ऐसी समस्याओं के लिए विद्यार्थी परिषद के पास ही आते हैं । यह विश्वास आम छात्रों में उत्पन्न करना विद्यार्थी परिषद की उपलब्धि है।

3) तीसरी  उपलब्धि यह है कि जहां-जहां विद्यार्थी परिषद की उपस्थिति है वहां-वहां राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी, गणतंत्र विरोधी, विकास विरोधी और महिला विरोधी शक्तियां परास्त हो गई हैं । लेकिन दूसरी ओर जहां-जहां अभाविप अनुपस्थित हैं वहां-वहां यह सभी शक्तियां अपना सर उठा कर देश की एकात्मता को चुनौती देती है । इसलिए कई बार कहते हैं कि अच्छा एबीवीपी भारत माता की जय वाले, तो बड़ा अच्छा लगता है, यह विद्यार्थी परिषद की पहचान है। विद्यार्थी परिषद माने भारत माता की जय वाले । अभाविप की जय नहीं बोलते हैं। इसीलिए जहां-जहां अभाविप है वहां-वहां राष्ट्र के लिए कुछ भी करेंगे। राष्ट्र सर्वप्रथम भाव की guarantee है। प्रश्नों के हल करने की गुंजाइश बनी रहती है।

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4)विद्यार्थी परिषद ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है वह यह है कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों को नेतृत्व देने का काम किया है । आज भी हमें अभाविप के कार्यकर्ता सभी जगह सभी क्षेत्रों में देखने को मिलतें है । जीवन दृष्टि से जीवनभर समाज में कार्यरत कार्यकर्ता। प्रसाद देवघर, अशोक जी भगत – ग्रामविकास, नंदिता पाठक – चित्रकूट, गिरीश कुलकर्णी – नगर कितने लोग? युवा पुरस्कार प्राप्त युवक, ये अभाविप ने new youth Icons समाज को दिए हैं।

5) अभाविप ने केवल ऐसे icons नही उत्पन्न किए तो सामाजिक समता का पालन करनेवाला,जाति,पंथ,भाषा के भेदों से ऊपर उठा हुआ, प्रामाणिक, भ्रष्टाचार न करनेवाला, व्यसनों से मुक्त, वैयक्तिक शुचिता का पालन करनेवाला, चारित्र्य का पक्का, देश के लिए कोई भी कुछ अच्छा कर रहा हैं तो उसे यथाशक्ति मदद करनेवाले लाखो, करोड़ों कार्यकर्ता हमने समाज में अभिसारित किए हैं और एक सज्जन शक्ति खड़ी की हैं।

6)सशस्त्र, हिंसक, माओवादी विचारों के विरुद्ध , संविधान सम्मत पद्धति से आंदोलन करके शहरी माओवादियों का नकाब उतारकर, उसके लिए अपने कार्यकर्ताओं ने जान देकर उन देश विरोधी शक्तियों को कॉलेज कैंपस से परास्त करनेवाला अभाविप एकमात्र छात्र संगठन हैं।

7) 1975 में आपातकाल के विरुद्ध लोकतंत्र की स्थापना हेतु यशस्वी संघर्ष करने वाला, लड़नेवाला संगठन ABVP.

सफलता और सार्थकता दो अलग चीजें हैं। रामायण का उदाहरण हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया। वो करने मे रावण सफल रहे, लेकिन क्या वो सार्थक था? तुरन्त उसके बाद वो सीता माता को लेकर उड़ा और आकाश मार्ग में जाते हुए एक पक्षी ने उसे रोका। उसने सोचा कि मैं जो भी हूं लेकिन एक व्यक्ति,  स्त्री को बलात ले जा रहा है। इसे मैं कैसे रोक सकता हूं ? वो तुरंत अपने पंख पसार कर रोकने लगा। अब रावण ने उसका एक पंख काट दिया वो नीचे गिर गया बाद में उसकी मृत्यू हो गई। वह यशश्वी नहीं रहा उसके निहित कार्य में। लेकिन क्या उसका प्रयास सार्थक नहीं था ? इसलिए सार्थक और सफल इसका अंतर ठीक तरीके से समझने की आवश्यकता है। और लगता है कि विद्यार्थी परिषद में सार्थक और सफल, इसका अंतर बताने का अच्छी तरह प्रयास किया है। हमने यहां पर एक बहुत अच्छा वातावरण उत्पन्न किया है। छात्र, छात्राएं, अध्यापक, अभिभावक एक परिवार निर्माण किया है। परिवार मे जैसे सब रहते हैं, एक बहुत अच्छा निर्मल, शुद्ध, सात्विक वातावरण हमने विद्यार्थी में उत्पन्न किया है। आनन्दमयी और सार्थक विद्यार्थी जीवन को पुष्ट करने वाले, मुझे लगता की विद्यार्थी परिषद एक अलग शक्ति के साथ अपने निहित कार्य की ओर अग्रसर होंगा और इस मंच के सम्मुख जो पंक्ति लिखी है वो हम सार्थक कर पाएंगे- ‘‘ आत्मागौरव भाव लेकर देश आगे बढ़ चला है, पथ सदा हमने चुना वह, विश्व का जिसमें भला है‘‘ । हमने कभी अपने लिए कार्य नहीं किया, विश्व कल्याण के लिए हम कार्यरत रहे और वह कार्य करने की शक्ति ईश्वर हम सभी को दे।

(लेखक, अभाविप राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं, पूर्व में आप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।)

 

 

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