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यूजीसी द्वारा लाई गई ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ योजना स्वागतयोग्य : अभाविप

छात्रों को देश व समाज हित में रोजगार एवं आवश्यकता परक कौशल देने में यह परियोजना होगी हितकारी
छात्रशक्ति डेस्क

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना को लागू करने का निर्णय स्वागतयोग्य है।  इस योजना के प्रारूप को तैयार कर हित धारकों की राय के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। इस योजना द्वारा शैक्षिक संस्थानों को अनुभव सिद्ध शिक्षा देने में सहायता मिलेगी।

विदित हो कि यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के क्रियान्यवन का एक भाग है, जिसका उद्देश्य छात्रों में व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देना है। योजना के अंतर्गत अपने क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले श्रेष्ठजनों को पढ़ाने का अवसर दिया जाएगा। ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के अंतर्गत भर्ती किए जाने वाले कर्मचारियों की संख्या संस्थान की कुल कर्मचारी संख्या की 10% रहेगी तथा कार्यकाल तीन वर्ष और विशेष परिस्तिथियों में अधिकतम चार वर्ष रहेगा।

इस योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रम का समायोजन किया जाना है जो कि औद्योगिक क्षेत्र और समाज की वास्तविक आवश्यकताओं को पूर्ण करता हो। इस प्रकार शिक्षण संस्थानों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, साहित्य, विधिक, प्रशासन, कला और सशस्त्र बलों से संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शिक्षा संस्थानों में अपने व्यावहारिक अनुभव के आधार पर छात्रों को प्रयोगात्मक प्रशिक्षण देंगे। इस प्रकार शैक्षणिक संस्थानों में छात्र अधिक रोजगार और आवश्यकता परक प्रशिक्षण ले सकेंगे जो समाज और उद्योग जगत दोनों को लाभान्वित करेगा।

अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने योजना का स्वागत करते हुए कहा कि, “विद्यार्थी परिषद लंबे समय से विभिन्न माध्यमों द्वारा शिक्षण प्रणाली में व्यावहारिक शिक्षा बढ़ाने की मांग करती रही है। हमें आशा है कि यह योजना देश व समाज हित में एक ऊर्जावान और हितकारी प्रयास सिद्ध होगी।”

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