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विद्यार्थी परिषद एक जीवंत छात्र संगठन

संजय स्वामी

9 जुलाई 1949 को कुछ तरुण विद्यार्थियों के द्वारा गठित किया गया छात्र संगठन मात्र कुछ ही वर्षों में राष्ट्रवादी स्वरूप पा गया था।अपने स्थापना के प्रारंभ से ही विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय चिंतन, राष्ट्रीय विचार को लेकर आगे बढ़ा।स्वतंत्र भारत में सर्वप्रथम वि प ने “भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी हो, राष्ट्रगीत वंदे मातरम, भारत का संविधान हिन्दी में हो तथा भारत का नाम इंडिया नहीं भारत हो” जैसे मुद्दों को उस समय की सरकार के सम्मुख उठा कर देश का ध्यान आकर्षित किया था। विद्यार्थी परिषद ने 1971 में अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में घोषणा कर दी थी कि “आज का विद्यार्थी कल का नहीं अपितु आज का ही नागरिक है।” संविधान में नागरिक को 21 वर्ष पर मताधिकार का प्रावधान था। विद्यार्थी परिषद ने मांग की, कि जब व्यस्क होने की आयु 18 वर्ष है तो मताधिकार की आयु भी 18 वर्ष होनी चाहिए। विद्यार्थी परिषद ने इस मांग को जोर-शोर से देश व सरकार सभी के सम्मुख रखा और आखिरसरकार ने संविधान में संशोधन करके मतदान की आयु 18 वर्ष करने की घोषणा की।

छात्र हितों को प्राथमिकता

विद्यार्थी परिषद मूलतः छात्र संगठन है परंतु शैक्षिक परिवार की दृष्टि से विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक मिलकर एक संकुल बनता है। इसलिए विद्यार्थी परिषद में शिक्षक भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विद्यार्थी जीवन में विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आकर अनेक विद्यार्थियों ने अपने जीवन का ध्येय शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना ही चुना और शिक्षा पूर्ण कर, बाद में शिक्षक के रूप में न केवल राष्ट्र को अपनी सेवाएं दे रहे हैं अपितु विद्यार्थी परिषद के कार्य में छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय परिसर में छात्र हितों में होने वाली किसी भी आंदोलनात्मक गतिविधि में विद्यार्थियों की ही भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक की भूमिका संगठन में दायित्व होने के बावजूद भी गौण रहती है।

सामाजिक भूमिका में सदैव अग्रणी : चाहे हाल फिलहाल का करोना आपदा काल रहा हो अथवा कोई अन्य दैवीय आपदा या रेल दुर्घटना आदि  विद्यार्थी परिषद ने सदैव बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पीड़ितों की सेवा के लिए विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता तुरंत उपस्थित हुए तथा रक्त दान, श्रमदान जैसी हर प्रकार की सहायता पीड़ित व्यक्तियों तक उपलब्ध कराई। चाहे उनके लिए भोजन आवास आदि की व्यवस्था करनी हो चाहे चिकित्सा की, विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता हर परिस्थिति में तत्पर खड़े रहे। समाज सेवा व राष्ट्रधर्म से कभी मुंह नहीं मोड़ा।

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सर्वे स्पर्शी सर्व समावेशी कार्य : वैसे तो विद्यार्थियों के मध्य जात-बिरादरी, अमीरी-गरीबी आदि कोई महत्व नहीं रखती परंतु विद्यार्थी परिषद ने अपने कार्य व्यवहार, कार्यशैली से कभी छात्रों में इस प्रकार के विचार को महत्व नहीं दिया। सर्वत्र सर्वस्पर्शी तथा सर्व समावेशी कार्य का मंत्र दिया। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता सुदूर ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों में सहजता से कार्य कर रहे हैं। अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन(SEIL) के माध्यम से गत 58 वर्षों से विद्यार्थी परिषद उत्तर पूर्व के सेवन सिस्टर के नाम से प्रख्यात राज्यों असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में छात्रों के बीच राष्ट्रवादी विचार को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। विद्यार्थी परिषद के इस प्रकल्प के माध्यम से अनेक विद्यार्थी राष्ट्रीय विचारधारा में सम्मिलित होकर अनेक महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे हैं। राजनीतिक, सामाजिक तथा शिक्षा जगत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

एक राष्ट्रवादी छात्र संगठन : -मीडिया जगत विद्यार्थी परिषद को कभी भारतीय जनता पार्टी से जोड़ता है,कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जोड़कर देखता है। परंतु विद्यार्थी परिषद अपने आप में स्वतंत्र, स्वायत्त विशुद्ध छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद का किसी भी अन्य संस्था, संगठन के साथ वैचारिक समन्वय तो हो सकता है। परंतु निर्णय प्रक्रिया, संगठनात्मक व्यवस्था, संसाधन, आर्थिक व्यवस्था आदि में पूर्णतः स्वतंत्र व आत्मनिर्भर है।

मूलत: राष्ट्रवादी चिंतन, दिशा, कार्यशैली, विचारधारा होने के कारण से राष्ट्रीय सोच के सम वैचारिक संगठनों, संस्थाओं से संपर्क, सहयोग होना स्वाभाविक है। राष्ट्रवादी चिंतन के बीजारोपण का ही परिणाम है कि विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ता सम वैचारिक राष्ट्रवादी राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक संगठनों में न केवल स्वतः सक्रिय हो जाते हैं, अपितु प्रभावी भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक संगठनों को तो विशेष सुविधा रहती है कि उनको एक अनुभवी, प्रशिक्षित कार्यकर्ता सहजता से उपलब्ध हो जाता है।

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किसी राजनीतिक दल का पिछलग्गू नहीं

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में वामपंथी संगठनों द्वारा पोषित छात्र संगठन “भारत तेरे टुकड़े होंगे” ऐसे राष्ट्र विरोधी नारे लगाते हैं। भारतीय संस्कृति तथा महापुरुषों, देवी- देवताओं को अपमानित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय परिसर में ही निकृष्ट कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।गौमांस(बीफ) पार्टी का आयोजन करते हैं। वही विद्यार्थी परिषद भारत अखंडता दिवस, शहीदों के बलिदान दिवस, विवेकानंद जयंती, बिरसा मुंडा जयंती, जनजाति गौरव दिवस का आयोजन करती है। कारगिल के शहीदों के सम्मान में उनके परिवारों को आमंत्रित कर श्रद्धांजलि सभा आयोजित करती है। आपदा के समय में पीड़ित परिवारों के लिए सहयोग राशि एकत्र कर पीड़ित परिवारों की मदद करती है।

आंध्र प्रदेश तेलंगाना में नक्सलवाद के विरुद्ध संघर्ष में विद्यार्थी परिषद के अनेकों कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिया है। केरल में वामपंथी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने तुष्टिकरण कर प्रच्छन्न मुस्लिम गुंडागर्दी को बढ़ावा दिया है। सरकार-पुलिस प्रशासन की उदासीनता या अप्रत्यक्ष सहयोग से वामपंथी-मुस्लिम गुंडो ने विद्यार्थी परिषद के अनेक कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग की है। अनेक छात्र व शिक्षक कार्यकर्ताओं पर महाविद्यालय, विश्वविद्यालय परिसर में ही जानलेवा हमला हुआ है। जिसमें अनेक कार्यकर्ता शहीद हुए हैं। परंतु विद्यार्थी परिषद ऐसे हमलों से न कभी डरा है, न रुक है। राष्ट्र प्रेम की भावना से ओतप्रोत विद्यार्थी-युवा कार्यकर्ता निरंतर आगे बढ़ रहे  हैं। 90 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था तब विद्यार्थी परिषद ने चलो श्रीनगर का आवाहन किया 11 सितंबर 1990 को संपूर्ण देश के विभिन्न क्षेत्रों से 10000 से अधिक युवा-छात्र कार्यकर्ता कश्मीर पहुंचे। 1991 में जब भारत सरकार ने बंगाल में बांग्लादेश को तीन बीघा गलियारा नाम से भारत की भूमि देने का निर्णय किया तब भी विद्यार्थी परिषद में इस निर्णय के विरोध स्वरूप सत्याग्रह किया। हजारों कार्यकर्ताओं ने भारत बांग्लादेश सीमा पर पहुँच कर आंदोलन किया, गिरफ्तारी दी। विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना के काल से ही  राष्ट्रहित के कार्यों में निरंतर सक्रिय है।

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समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय

विद्यार्थी परिषद अपने कार्यकर्ताओं के श्रम, मेधा तथा समर्पण की ताकत से समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय है। मुख्य रूप से विद्यार्थी परिषद की कार्य पद्धति में तीन प्रकार के कार्यों को सम्मिलित किया हुआ है- आंदोलनात्मक गतिविधियां, संगठनात्मक गतिविधियां तथा कार्यक्रमात्मक गतिविधियां। परंतु विद्यार्थी परिषद ने जब भी देश-समाज पर किसी भी प्रकार का संकट उपस्थित हुआ उस आवश्यकता की घड़ी में सदैव अग्रिम पंक्ति पर अपने आप को प्रस्तुत किया है। विद्यार्थी परिषद ने स्वयं को मात्र छात्र हितों तक सीमित नहीं रखा अपितु देश हित सर्वोपरि सूत्र को अपने कार्य व्यवहार से सार्थक किया है। फिर चाहे भारत पाकिस्तान अथवा चीन से युद्ध का संकट काल रहा हो, गुजरात में भूकंप आया हो, उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा बाढ़, समुद्र तटीय क्षेत्रों में सूनामी, नेपाल में भूकंप से तबाही, प्रत्येक आपदा की दुखद परिस्थितियों में विद्यार्थी परिषद के आवाहन पर ग्राम-नगर के छात्रों- युवाओं ने बढ़-चढ़कर सहयोग तथा सेवा की है। विद्यार्थी परिषद तुरंत सहायता कार्यों के लिए सदैव तत्पर रहा है।

“वसुधैव कुटुंबकम” के वेद सूक्त को अपना बीज मंत्र बनाते हुए विद्यार्थी परिषद ने समस्त विश्व के छात्रों को एक विराट परिवार के सदस्य के रूप में अंगीकृत करते हुए अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष 1985 में “विश्व विद्यार्थी युवा संगठन” का प्रारंभ किया। जिससे विभिन्न राष्ट्रों के विद्यार्थियों को एक मंच प्राप्त हुआ। युवाओं को वैश्विक स्तर पर भौतिक आवश्यकताओं के अनुरूप आधुनिक विचारों, नवीन वैज्ञानिक चिंतन को विस्तार देते हुए आध्यात्मिक एवं मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने का अवसर उपलब्ध करवाया।

आज विद्यार्थी परिषद विश्व के सबसे बड़ा छात्र संगठन के रूप में स्थापित हो चुका है। अमृत महोत्सव वर्ष ईस्वी सन 2023 में विद्यार्थी परिषद अपना 69 वां राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में आयोजित कर रहा है। युवा शक्ति को राष्ट्रसेवा में निरंतर सहभागी बने रहने के लिए अनंत शुभकामनाएं।

(लेखक पूर्व में अभाविप दिल्ली के प्रांत अध्यक्ष रहे हैं वर्तमान में आपक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पर्यावरण प्रकल्प के राष्ट्रीय संयोजक हैं। )

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