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#65ABVPConf : अभाविप कार्यपद्धति की प्रासंगिकता एवं स्वरूप – सुनील आंबेकर

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के 65 वें अधिवेशन के तीसरे दिन रविवार को अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने कहा कि आज का दिन राष्ट्र के लिए स्मरणीय है क्योंकि भारत के महान सपूत लाचित बरफुकन जी जन्म आज ही दिन हुआ है । लाचित बरफुकन से हमें प्रेरणा मिलती है ।  परिषद की कार्यपद्धति के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अभाविप ने देश सेवा के लिए युवाओं को जागृत एवं संगठित किया । अभाविप आंदोलन, सेवा एवं अन्य रचनात्मक कार्यों के जरिये देश के युवाओं को जोड़ती है । विद्यार्थी परिषद में व्यक्ति विशेष की जगह टीम वर्क को प्राथमिकता दी जाती है ।  यह कार्यपद्धति रा. स्व. संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार की विचारों के अनुरूप ही विकसित की गई है, जिस कारण कार्यकर्ता का व्यक्तित्व निर्माण होता है ।

श्री आंबेकर ने कहा कि विद्यार्थी परिषद में प्रत्येक कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है लेकिन कोई अपरिहार्य नहीं। कार्यपद्धति का विकास प्रत्यक्ष आचरण से हुआ, यह मात्र सिद्धांत नहीं है । बैठकों में कार्य पद्धति का भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है कार्य पद्धति के विकास के कारण शिक्षा क्षेत्र के लोगों में विकास हो रहा है आज के समय में देश के हर हिस्से में परिषद का कार्य बढ़ रहा है । अभाविप ने सिद्ध किया है कि संख्या के साथ – साथ हमारे कार्यों की गुणवत्ता भी बढ़ाई जा सकती है और परिषद ने बढ़ाई भी है ।  उन्होंने कार्यकर्ताओं को सीख देते हुए कहा कि कार्यकर्ता के गुणों की चर्चा सर्वत्र तथा दोषो की चर्चा यथास्थान पर की जानी चाहिए।

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