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अभाविप ने की मांग, निजामुद्दीन मरकज के आयोजकों पर हो कानूनी कार्रवाई

नई दिल्ली । कोविड19 महामारी से पूरी दुनिया परेशान है। लोगों में भय का माहौल है। महामारी से बचने के लिए भारत सरकार ने 24 मार्च से ही पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया है लेकिन निजामुद्दीन स्थित एक मस्जिद में मरकज जमात की लापरवाही ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। एक ओर जहां पूरा देश लॉकडाउन के तहत घरों में कैद था वहीं मरकज जमात के लोग कानून को ठेंगा दिखा कर अपना आयोजन कर रहे थे। मरकज के आयोजकों के खिलाफ देश भर में गुस्सा का माहौल है।

गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि  1.3 अरब की आबादी को ख़तरे में डालने वाले निज़ामुद्दीन मरकज़ के आयोजकों एवं देशभर में स्वास्थ्य अधिकारियों को सहयोग ना करने वाले इस कार्यक्रम के मज़हबी प्रतिनिधियों पर तुरंत क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े में दो सप्ताह पूर्व आयोजित पांथिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विदेशी प्रतिनिधियों का नियम विरुद्ध सहभाग तथा आयोजकों के लापरवाही पूर्ण रवैये से हज़ारों देशी-विदेशी मज़हबियों के तीन-दिवसीय सम्मेलन के बाद भी निज़ामुद्दीन स्थित मस्जिद परिसर में बने रहना, कोरोना वायरस के संक्रमण का शर्मनाक कारण बना है।

ग़ौरतलब है कि देशभर में कोरोना संक्रमण एवं COVID -19 से दुःखद मृत्यु के मामलों में निज़ामुद्दीन में आयोजित कार्यक्रम के सहभागी तथा उनके सम्पर्क में आये परिवारजनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर वामपंथी संगठन और उनके विद्यार्थी धड़े, आँख मूँद कर छद्म-पंथ निरपेक्षता की रट लगाये बैठे हैं। साथ ही, कुछ पांथिक विद्यार्थी संगठन, मुस्लिम समाज की पीठ में छुरा घोंपने वाले मरकज़ के आयोजकों को छोड़, स्वप्नलोक में “इस्लामोफोबिया” चिल्ला रहे हैं। पांथिक आधार पर परिसरों में छात्रों के बीच खाई पैदा करने के इन कुत्सित प्रयासों की अभाविप कड़ी भर्त्सना करती है ।

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वर्तमान समय में सभी भारतीयों को पूरी एकजुटता के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में योगदान देने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा दी जा रही समस्त हिदायतों और सोशल डिस्टेंसिंग नियम का प्रमुखता से पालन करते हुये अपने बचाव करने की आवश्यकता है। खेद का विषय है कि कुछ कट्टरपंथी संगठन इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं, साथ ही जाँच व उपचार में लगे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों पर पथराव कर रहे हैं। देश में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के बीच कार्यरत इन संगठनों द्वारा दोषियों का समर्थन करना अत्यंत ही चिंताजनक विषय है।

अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री  निधि त्रिपाठी ने कहा कि निजामुद्दीन क्षेत्र में आयोजित पांथिक सम्मेलन के कारण भारत में जिस प्रकार कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ी है, वह पूरे देश को एक बड़े संकट में डालने वाली है। आज यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस कार्यक्रम में जिन भी लोगों ने सहभागिता की थी, वह स्वयं को अन्य लोगों से पृथक करें। लेकिन जिस प्रकार से कुछ वामपंथी तथा पांथिक छात्र संगठन हिंदू-मुस्लिम भेद करके स्थिति को और विकट करने का प्रयास कर रहे हैं, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी को पांथिक मानसिकता के ऊपर उठकर मानवता की रक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिये ।

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