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पुस्तक समीक्षा :  आज बाजार बंद है

प्रियंका गिलहरे

लॉकडाउन के दौरान मेरे हाथ एक पुस्तक लगी जिसका नाम है आज बाजार बंद है। यह पुस्तक मुझे इतनी अच्छी लगी कि पूरा पुस्तक पढ़े बिना अपने आप को रोक नहीं पाई है। पुस्तक में महिलाओं की पीड़ा को उजागर किया है। पुस्तक के लेखक नौमिशराय ने एक वेश्या के जीवन का जीवंत चित्रण किया है। कोठे की अंतहीन दर्ददायी कोठरी में वेश्याओं के द्वारा बिताये जीवन, उनकी समस्या और उनकी पीड़ा को बहुत ही भावुक तरीके उकेरने का काम किया है। पुस्तक को पढ़ने के बाद आप अपने आंखों से आंसूओं को रोक नहीं पायेंगे।

महिलाओं के स्थिति को मानव जीवन में उजागर करते हुए नारी शक्ति को सर्वश्रेष्ठ स्थान देने के लिए यह पुस्तक उपयोगी है। महिला मानव समुदाय का महत्वपूर्ण अंग है, महिलाओं के उत्थान के बिना समाज के विकाल की कल्पना करना नामुमकिन है। पुस्तक हमें उस दौर में ले जाती है जहां महिलाएं वेश्या के रूप में देखी जाती है और उनका जीवन कोठे के अंतहीन दलदल में ही समाप्त हो जाता है। उस काल में राष्ट्र की बेटी और बहूओं की पीड़ा की कल्पना लगभग ना के बराबर थी। उस समय वेश्यावृति, रखैल जैसी बिमारी समाज को खोखला कर रही थी। यह पुस्तक महिलाओं को केन्द्र में रखकर एक वेश्यावृति के पर्दे को उजागर करने का काम किया गया है।

पुस्तक का नाम  – आज बाजार बंद है

लेखक – मोहनदास नैमिशराय

प्रकाशन वर्ष – 2004

(समीक्षक राष्ट्रीय छात्रशक्ति छत्तीसगढ़ प्रांत की प्रांत छात्रशक्ति प्रमुख हैं।)

 

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