e-Magazine

‘ध्येय-यात्रा: अभाविप की ऐतिहासिक जीवनगाथा’ पुस्तक का विमोचन 15 अप्रैल को

नई दिल्ली विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 75 वर्षों की यात्रा पर दो खंडों में प्रकाशित हो रही बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘ध्येय-यात्रा: अभाविप की ऐतिहासिक जीवनगाथा’ का विमोचन 15 अप्रैल को रा. स्व. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले के हाथों होगा। कार्यक्रम में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ छगन भाई पटेल एवं राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी भी उपस्थित रहेंगे। उपरोक्त के अलावे इस कार्यक्रम में अभाविप के अब तक के समस्त पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम को लेकर विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में जबरदस्त उत्साह है।

9 जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आया यह छात्र संगठन, विगत सात दशकों में, देश के हर जनहितकारी आंदोलन एवं जनकल्याणकारी कार्यों में अपनी भूमिका निभाता रहा है। यह पुस्तक, अभाविप के रचनात्मक, आंदोलनात्मक एवं प्रतिनिधित्वात्मक कार्यशैली से ‘राष्ट्र-पुनर्निर्माण’ के कार्य में संगठन द्वारा निभाई गयी अपरिहार्य भूमिका का आलेख है। वर्तमान में 3900 से अधिक इकाइयों, 2331 संपर्क स्थानों, 21 हज़ार शैक्षणिक परिसरों में कार्यरत 32 लाख कार्यकर्ताओं और पूर्व में कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियों द्वारा पूरे मनोयोग से सींचे जाने का ही परिणाम है कि आज अभाविप विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में उभरा है।

अभाविप के सुनहरे इतिहास को जीवंत करती ध्येय यात्रा

यह पुस्तक अभाविप के स्थापन, वैचारिक अधिष्ठान, संगठन के स्वरूप एवं विकास क्रम, छात्र आंदोलन की रचनात्मक दिशा, राष्ट्रहित में साहसिक प्रयास, राष्ट्रीय-शैक्षिक एवं सामाजिक मुद्दों पर अभाविप का विचार, छात्र नेतृत्व, आयाम कार्य, प्रभाव, उपलब्धियों एवं वैश्विक पटल पर संगठन जैसे विषयों को अपने दोनों खंडों में समाहित करता है. अभाविप इस वर्ष अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और यह पुस्तक 75 वर्षों के सुनहरे इतिहास का उल्लेख करती है।

READ  पटना : अभाविप ने किया के.के. पाठक के आवास का घेराव, कहा पाठक के अड़ियल रवैये का दंश झेल रहा है बिहार की शिक्षा व्यवस्था

अलग – अलग कालखंडों का विशेष उल्लेख

इस पुस्तक में इतिहास के बहुत से विशेष कालखंडों का उल्लेख किया गया है जिसमें युवाओं की विशेष भूमिका रही है। कश्मीर काल खंड, आपातकाल का दौर, बांग्लादेश घुसपैठ आंदोलन, चिकन नेक आंदोलन, तीनबीघा आंदोलन, नक्सलवाद की समस्या जैसे कई महत्वपूर्ण इतिहास की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जिनका वर्तमान राष्ट्रीय विमर्श में भी प्रभाव देखा जा सकता है।

देखे जा सकते हैं कई दिग्गजों के नाम

अभाविप के पूर्व कार्यकर्ताओं की सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं। देश के गृह मंत्री अमित शाह से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अभाविप का हिस्सा रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, पद्मश्री अशोक भगत, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, अभिनेता पंकज त्रिपाठी समेत देश के दिग्गज नाम अभाविप के कार्यकर्ता रह चुके हैं। सभी वर्तमान एवं पूर्व कार्यकर्ताओं में इस पुस्तक को लेकर उत्सुकता देखी जा सकती है और विमोचन कार्यक्रम में अतिथियों के अलावा कई दिग्गज नाम देखे जा सकते हैं।

परिषद कार्यशैली एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के घोषित लक्ष्य को समझने का मिलेगा मौका

पुस्तक के विषय में अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “ध्येय यात्रा मात्र एक पुस्तक नहीं अपितु एक जीवंत छात्र आंदोलन का ग्रंथ है। वर्तमान में अभाविप के विविध आयाम छात्रों के बीच काम कर रहे हैं और इस पुस्तक में उनके विकास की कहानी है। हमें आशा है, की इस पुस्तक के माध्यम से, संगठन की कार्यशैली एवं अभाविप के ‘राष्ट्र पुनर्निर्माण’ के घोषित लक्ष्य को समझने का मौका समाज के सभी वर्गों को मिलेगा।

READ  प. पू. हेडगेवार कुलोत्पन्न यशवंत राव केलकर

मनुष्य निर्माण की उत्कृष्ट प्रक्रिया को उल्लेखित करती ध्येय यात्रा

पुस्तक के सम्पादक मनोज कांत कहते हैं कि ध्येययात्रा, एक ऐसा संदर्भग्रंथ जो विश्व के सबसे विशाल छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को 70 वर्षीय ऐतिहासिक जीवनगाथा प्रस्तुत करता है। यह ऐसी पुस्तक है जो देश के स्वतंत्रता के साथ ही अस्तित्व में आये राष्ट्रवादी विद्यार्थी – समूह के रचनात्मक मंच की वैचारिकी और उसकी स्थापना की पृष्ठभूमि से अवगत कराती है। यह पुस्तक अभाविप के 70 वर्ष के इतिहास का ग्रंथ है जिसे शोधार्थी छात्र आंदोलन पर शोध के लिए उपयोग कर सकेंगे। समय – समय पर शिक्षा क्षेत्र में कैसे परिवर्तन आए और विद्यार्थी परिषद ने क्या भूमिका निभाई वो इस पुस्तक में उल्लेखित है। यह पुस्तक मनुष्य निर्माण की उत्कृष्ट प्रक्रिया को उल्लेखित करती है। युवा पीढ़ी को अगर आशान्वित होना है तो वह इस पुस्तक को पढ़ें और जाने की कैसे 70 वर्षों के प्रयास से आने वाली पीढ़ियां राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही हैं।

 

×
shares