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चंद्रयान – 3 ने भरी भारत के सपनों की उड़ान, अभाविप ने दी शुभकामना

जिस क्षण की प्रतीक्षा पूरे देश को थी, आखिरकार आ ही गई। अंतरिक्ष में इतिहास रचते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान – 3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर प्रक्षेपण(लॉन्च) किया गया और 16 मिनट के अंदर ही यह पृथ्वी की कथा में स्थापित हो गया। बता दें कि चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है। चंद्रयान 3 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पूरी टीम को बधाई दी है।

भारत बनेगा चौथा देश

चंद्रयान 3 की यह यात्रा 40 दिनों में पूरे होने की संभावना है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिको ने कहा है कि हमारा प्रयास रहेगा कि चांद की सतह पर मून लैंडर विक्रम की सफल सॉफ्ट लैंडिंग हो जाए। विक्रम लैंडर यदि सफलता के साथ चांद की सतह पर उतर जाता है कि भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश होगा जो यह कीर्तिमान रच पाएगा। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत- अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की है।

सुप्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने चंद्रयान की कलाकृति बनाकर कहा विजयी भवः

रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक द्वारा बनाया गया चंद्रयान कलाकृति

चंद्रयान – 3 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने की प्रतीक्षा पूरी हो चुकी है। समस्त देशवासियों को मिशन चंद्रयान की सफलता की कामना कर रहे हैं वहीं सुप्रसिद्ध रेत कलाकर सुदर्शन पटनायक ने इसरो वैज्ञानिकों को अपने खास अंदाज में अंदाज में शुभकामना दिया है। रेत कलाकार ने गुरुवार को पुरी के समुद्र तट पर चंद्रयान की कलाकृति बनाकर लिखा विजयी भवः । उन्होंने  22 फीट लंबा ‘चंद्रयान-3’ का कलाकृति बनाया, जिसमें उन्होंने पांच सौ स्टील के कटोरे का इस्तेमाल किया। कलाकार ने इस चंद्रयान-3 की कलाकृति की तस्वीर ट्विटर साझा करते हुए लिखा कि #चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए इसरो टीम को शुभकामनाएं।

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इससे पहले दो बार प्रयास किए गए

भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण 22 अक्टूबर 2008 को किया था। हालांकि, 14 नवंबर 2008 को जब चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सीमा के पास पहुंचा तो वहां वो दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बाद दूसरा प्रयास 22 जुलाई 2019 को किया गया, लेकिन 2 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद के चक्कर लगाते वक्त लैंडर विक्रम से अलग हो गया। चांद की सतह से जब वह 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था तो उसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया।

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