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छात्रशक्ति अगस्त 2023

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना दिवस के कार्यक्रम देश भर में अत्यंत उत्साह से मनाए गए। स्थापना के 75 वर्ष अर्थात अमृतकाल के प्रारंभ का यह अवसर न केवल वर्तमान टोली अपितु पूर्व कार्यकर्ताओं के बीच भी उत्साह का कारण बना है।

गत 75 वर्षों में कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियां गुजरी हैं जिन्होंने यथाशक्ति संगठन के काम को आगे बढ़ाया। यह परिषद की कार्यकर्ता विकास की अनूठी प्रक्रिया है जो कार्यकर्ता को अपने कार्यशील दिनों में संगठन कौशल और नेतृत्व के गुणों से पूरित करती है, वहीं दायित्व से हटने के दशकों बाद भी उसे संगठन के साथ आत्मीय संबंध में जोड़े रखती है। इसके पीछे परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का स्नेहपूर्ण व्यवहार तथा शुद्ध सात्विक प्रेम ही है। इस स्नेहसंबंध ने ही उन्हें लाखों कार्यकर्ताओं का स्वाभाविक संरक्षक और अभिभावक बना दिया। जैसे कोई कुम्भकार अपने मिट्टी के बर्तन को बनाते समय जहां संभालना होता है वहां संभालता है और जहां ठीक करने के लिये थपकी देनी होती है वहां थपकी देता है, वैसे ही इन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने युवा छात्रों को गढ़ा है।

प्रवाहमान छात्रों के बीच काम करने वाले संगठन का स्थायी स्वरूप गढ़ने का काम प्रा. यशवंतराव केलकर, प्रा. बाल आपटे और मा. मदनदास जी ने तीन दशक से अधिक तक किया। यह त्रयी मानो संगठन की जीवंतता का पर्याय ही थी। किन्तु काल की गति से कोई भी नहीं बच सकता। इस त्रयी के अंतिम नक्षत्र मा. मदनदास जी ने 24 जुलाई 2023 को अपनी जीवन यात्रा पूरी की।

मा. मदनदास जी का स्वभाव ऐसा था कि प्रत्येक कार्यकर्ता को लगता था कि वह उनके सबसे अधिक निकट है। वस्तुतः वे सभी के प्रति समान आत्मीय थे। कार्यकर्ताओं की तीन पीढ़ियां तो यशवंतराव जी और आपटे जी के जाने के बाद उन्हें ही अपना सम्बल मानती थीं।

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स्वाभाविक ही उनके लिये ‘अपने मदन जी’ का जाना व्यक्तिगत रूप से अपूर्णीय क्षति है। जहां तक संगठन की प्रगति का सवाल है, उनकी स्मृति से प्रेरणा लेकर वह निरंतर वर्धमान रहेगा, यह विश्वास है। हां, यह विश्वास भी उस अद्वितीय कार्यपद्धति के कारण ही है जिसके पीछे इन महापुरुषों की सुदीर्घ साधना है। उनका स्पर्श पाकर असंख्य कार्यकर्ता समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हुए आज अपने-अपने क्षेत्र में शीर्ष पर हैं।

मा. मदनदास जी के प्रति सश्रद्ध,

आपका

संपादक

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