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पश्चिम बंगाल के सन्देशखाली के विरोध मे अभाविप ब्रज प्रांत के विभिन्न जिलों में हुआ विरोध प्रदर्शन

छात्रशक्ति डेस्क

पश्चिम बंगाल के उत्तर चौबीस परगना जिले के संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेताओं द्वारा महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, जमीन कब्जाने तथा अपराध से भयमुक्त वातावरण निर्माण कर स्थानीय हिंदू परिवारों को पलायन करने को मजबूर करने के विरुद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा देश के सभी ज़िलों में प्रदर्शन किया गया है इसी क्रम में ब्रज प्रांत में आगरा,बरेली,फिरोजाबाद,मथुरा,हाथरस, मैनपुरी ,बदायूं ,अलीगढ़,पीलीभीत,शाहजहांपुर समेत सभी जिलों में जगह जगह विरोध प्रदर्शन करते हुए। ममता सरकार के इस्तीफा की मांग की गई तथा राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी की ज्ञापन सौंपा गया।

अभाविप ब्रज प्रांत के प्रांत मंत्री अंकित पटेल ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध जघन्यतम अपराधो का केंद्र बन चुके पश्चिम बंगाल के स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए मांग की। की राज्य सरकार की संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए संदेशखाली के पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराई जाए एवम् दोषियों पे कार्यवाही की जाए।

प्रांत संगठन मंत्री मनीष राय ने कहा कि देश के जिस प्रदेश में मां दुर्गा की सबसे अधिक पूजा की जाती है, दुःख है कि उस बंगाल के अंदर भी महिला अपमान का दृश्य हमें पीड़ित करता है।पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लगातार जनविरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही हैं और भ्रष्ट अधिकारियों और अपराधियों को बचा रही हैं। पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की नीति ने आम लोगों को परेशान कर दिया है। अधिकारी आम लोगों के अधिकारों को कुचल रहे हैं। जब से संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की घटना सामने आई है, अभाविप पूरे देश में शैक्षणिक संस्थानों में न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।

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प्रांत सहमंत्री अवनी यादव ने कहा की सन्देशखाली की महिलाओं के ऊपर हो रही हिंसा एवं उनकी सामूहिक अस्मिता के हनन पर अभिलंब अंकुश लगाया जाए महिलाओं के ऊपर हुई हिंसा एवं दुराचार की घटनाओं की वास्तविकता को निर्भरता पूर्वक शासन कॉम प्रशासन एवं न्यायिक संसाधनों तक पहुंचाने हेतु हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराया जाना चाहिए न्याय की सुगमता हेतु पीड़ित महिलाओं को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान कराई जाए।

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