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#JNUSUElection : अभाविप के आरोप पत्र के बाद असहज स्थिति में वाम संगठन, परिषद ने मांगे 5 साल का हिसाब

छात्रशक्ति डेस्क

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव प्रचार जोरों पर है। सभी छात्र संगठन अपने-अपने पक्ष में मतदान की अपील करते दिख रखे हैं। वहीं जानकारी के मुताबिक अभाविप के द्वारा आरोप पत्र जारी करने के बाद वाम संगठन नेतृत्व वाली जेएनयूएसयू बैक फूट पर है। बताया जा रहा है कि अभाविप के आरोप के बाद वाम संगठन असहज महसूस कर रहे हैं, क्योंकि पिछले पांच साल से वाम संगठन नीत जेएनयूएसयू ही काबिज है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने वाम संगठन नीत जेएनयूएसयू द्वारा किए गए पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल पर प्रश्न पूछते हुए 5 बिंदुओं का आरोप पत्र जारी किया है,जिसमें छात्रों की आधारभूत समस्याओं जैसे- जर्जर छात्रावासों की समस्या, जल संकट, छात्रवृत्ति, शैक्षणिक सत्र, परीक्षा परिणाम में अनियमितता आदि को केंद्र में रखकर यह 5 बिंदुओं वाला आरोप पत्र जारी किया गया है, जो इस प्रकार है –

1. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जब छात्र समग्र संकट और आर्थिक तंगी से जूझ रहें थे। तब ये जेएनयू छात्रसंघ की तथाकथित अध्यक्ष आइशी घोष कहाँ थी। जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्त्ता जेएनयू के छात्रों के लिए भोजन, दवा, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की व्यवस्था में जुटे थें तब इनका खूनी व बलात्कारी संगठन कहाँ था?

2. जेएनयू के विद्यार्थीओं और परिसर की आधारभूत समस्याओं को लेकर आज तक जेएनयू छात्रसंघ द्वारा एक भी सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई गई। साथ ही जब बैठक बुलाई भी गई तो उसका विषय छात्रों की समस्याओं से संबंधित नहीं रहा।

3. जब जेएनयू के छात्र फेलोशिप, जल संकट, शैक्षणिक कैलेंडर की अनियमितता आदि समस्याओं से परेशान थें। तब ये जेएनयू छात्रसंघ की अनाधिकृत अध्यक्ष आइशी घोष छात्रों की सुध लेने के बजाय बंद कमरों में वीसी के साथ चाय पार्टी कर रही थी। आइशी घोष को यह जवाब देना पड़ेगा कि वह किस अधिकार से एवं किन गुप्त मुद्दों पर वीसी के साथ चर्चा कर रही थी जिसको आज तक छात्रों के सामने नहीं लाया गया।

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4. छात्रावासों की जर्जर छत का गिरना, उस छत के गिरने से शौचालय में उपस्थित छात्रों का घायल होना जेएनयू छात्रसंघ की नाकामी और संवेदनहीनता का परिचायक है। जो छात्रसंघ अपने कार्यालय, जिसे टेफलास (स्टूडेंट कम्युनिटी सेंटर) के नाम से जाना जाता है पिछले 5 वर्षों से उसकी जर्जर छत की मरम्मत नहीं करवा सकी। वह जेएनयू के इंफ्रास्ट्रक्चर को क्या ही मजबूत कर पाएगी?

5. जब जेएनयू प्रशासन के निकम्मेपन के शिकार छात्रों को साल-साल भर तक छात्रवृत्ति ( एमसीएम, नॉन नेट, एवं JRF आदि) नही आ रही थी, और विद्यार्थी परिषद छात्रवृत्ति में अनियमितता के चलते छात्रों की मांगों को लेकर प्रशासन से संघर्षरत था, और प्रशासन के आदेश पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा लाठियां खा रहा था, तब लेफ्ट नीत अनाधिकृत जेएनयूएसयू और वामपंथी संगठन कहां सो रहे थे।

अभाविप जेएनयू इकाई मंत्री विकास पटेल ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से जेएनयू के छात्र इस वामपंथ रूपी विष का दंश जेएनयूएसयू के माध्यम से झेल रहा है। जिस समय जेएनयू के छात्र कतिपय समस्याओं से जूझ रहें थे तब जेएनयू की अनाधिकृत अध्यक्ष बंगाल में चुनाव लड़, जमानत जप्त करवा रही थी। जिस समय जेएनयू के छात्रों को एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता थी तब उनका अनाधिकृत अध्यक्ष बंगाल में अपनी राजनीतिक रोटी सेक रही थी।

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