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कांग्रेस

आपातकाल के 19 माह: जब लोकतंत्र की धारा को तानाशाही ने अवरुद्ध किया 

भारत सनातन काल से लोकतांत्रिक राष्ट्रीयता का स्वाभाविक पोषक रहा है।भारत के प्राचीनतम कालखण्ड से लेकर आधुनिक भारत के वर्तमान तक लोकतंत्र ही भारत का मूल स्वभाव रहा  है।इसका कारण यह है कि भारत की राष्ट्र...

भारतीयता के प्रतिनिधि स्वर गाँधी जी

पिछली सदी के महानायकों में से एक मोहनदास करमचंद गाँधी को देश ने महात्मा के रूप में आदर दिया है। बीसवीं सदी का तीसरा और चौथा दशक तो भारत के राजनैतिक परिदृश्य में भारतीयता के प्रतिनिधि स्वर के रूप में म...

आज़ादी ! टुकड़े वाली या सुभाष वाली ?

भारत में इस समय सबसे ज्यादा बहस राष्ट्रवाद और उसके स्वरुप क्या होना चाहिए, इसको लेकर है । इस समय का राष्ट्रवाद वह राष्ट्रवाद नहीं है जिसकी कल्पना भगत सिंह और सुभाष बाबू ने की थी ऐसा कहकर कुछ लोगों द्व...

जानें हिंसा की जद में क्यों है जेएनयू, वामपंथी राजनीतिक दंश के इतिहास से क्या है इसका कनेक्शन?

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर सुर्ख़ियों में है| जे एन यू की घटना को इस विश्वविद्यालय के 50 वर्षों के अस्तित्व में हुई हिंसा और अराजकता की घटनाओं की पृष्ठभूमि में ही समझा जा सकता है|...

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