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आपातकाल के 19 माह: जब लोकतंत्र की धारा को तानाशाही ने अवरुद्ध किया 

भारत सनातन काल से लोकतांत्रिक राष्ट्रीयता का स्वाभाविक पोषक रहा है।भारत के प्राचीनतम कालखण्ड से लेकर आधुनिक भारत के वर्तमान तक लोकतंत्र ही भारत का मूल स्वभाव रहा  है।इसका कारण यह है कि भारत की राष्ट्र...

विराट व्यक्तित्व के धनी – डा. भीमराव आंबेडकर

भीमराव राम जी आंबेडकर केवल भारतीय संविधान के निर्माता एवं करोड़ों शोषित, पीड़ित भारतियों के मसीहा ही नहीं थे बल्कि वे समाज सुधारक, श्रेष्ठ विचारक, चिंतक, अर्थशास्त्री, पत्रकार, धर्म के ज्ञाता, कानून ए...

 वुहान वायरस और भारतीय ‘सहकारी संघवाद’

दुनिया में चीनी कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है. उथल- पुथल का माहौल पूरी दुनिया में व्याप्त है. सरकारों के हाथ-पाँव फूले हुए हैं. शासन- प्रशासन केवल रक्षात्मक रवैय्या अपनाने को मजबूर हैं, क्यूंकि अबतक न...

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