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छात्रशक्ति अगस्त 2019

एक कुहासा मिट गया है। अनुच्छेद 370 का जो लौह आवरण जम्मू कश्मीर को घेरे था वह अब नहीं रहा। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, अब यह बार-बार नहीं दोहराना होगा। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है, अब यह ऐसा सच है जिस पर कोई किन्तु-परंतु नहीं। यह नया भारत है जहाँ एक देश में एक विधान है, एक प्रधान है और एक ही निशान है।

11 सितम्बर 1990। जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है के नारे लगाते हुए परिषद के कार्यकर्ताओं की टोलियाँ देश भर से कश्मीर की ओर बढ़ रही थीँ। श्रीनगर के जिस लाल चौक पर आतंकवादियों और अलगाववादियों ने तिरंगे का अपमान किया था, उसी लाल चौक पर तिरंगा फहराने की घोषणा अभाविप ने की थी। आतंकवाद चरम पर था। उसे चुनौती देने के लिये हजारों निहत्थे नौजवान परिषद के नेतृत्व में चल पड़े थे। मन में विस्थापितों की पीड़ा आंखों से फूटती चिंगारियां। बलिदानी भाव से मिल कर युवा आक्रोष एक ऐसे भाव का सृजन कर रहा था जो अभूतपूर्व था। पहले कभी अनुभव नहीं किया गया था।

कितने सम्मेलन, कितने प्रस्ताव, कितने आंदोलन, कितने कार्यक्रम। गिनती नहीं। जनजागरण के नये-नये प्रयोग। गाँव-गाँव, गली-गली जम्मू कश्मीर की पीड़ा को गाते, अलख जगाते परिषद कार्यकर्ता पीढ़ी-दर-पीढ़ी जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय एकात्मता का ताना-बाना बुनते रहे। धुर दक्षिण हो या पूर्वोत्तर, परिषद कार्यकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर देखे बिना भी जम्मू कश्मीर को अपनी सांसों में अनुभव किया है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 1999 में आयोजित एक सभा में मुख्य वक्ता से पूछा गया कि अनुच्छेद 370 कब और कैसे हटेगा। वक्ता ने उत्तर दिया – लोकतंत्र में जरूरी होता है बहुमत। जिस दिन देश की जनता हमें बहुमत देगी, हम आगे बढ़ेंगे। निर्णय लेने के लिये हौंसला चाहिये, वह हम में है। कलम की नोंक और एक बूँद स्याही से हम यह फैसला लिख देंगे। यह एक संकल्प था जो राष्ट्रीय विचार के साथ खड़े हर कार्यकर्ता ने अपने मन में संजो रखा था। न जाने कितने लोगों के जीवन की साध थी कि जम्मू कश्मीर का अलगाव दूर हो और वह सच्चे अर्थों में भारत बन जाये।

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और अचानक, समाचार मिला कि अनुच्छेद 370 हट गया है और साथ ही उसकी आड़ में लगे सारे प्रतिबंध भी। अकल्पनीय खुशी के चलते पुराने कार्यकर्ताओं की आंखों में आंसू छलक आये। स्व. सुषमा स्वराज जी द्वारा अपने निधन से पूर्व किया गया ट्वीट उस भाव को व्यक्त करता है।

लाखों कार्यकर्ताओं ने न केवल इस दिन का सपना देखा था बल्कि इसे पूरा करने के लिये अपना पसीना और खून भी बहाया था। आज का दिन उनके योगदान को स्मरण करने का दिन है। राष्ट्रीय एकात्मता को पूरा करने के लिये जम्मू कश्मीर को नये सिरे से गढ़ने के संकल्प का दिन है। मुख्य धारा से दशकों तक कटे रहे वहां के निवासियों को ह्रदय से लगाने का दिन है। इस निर्णय से उपजे राष्ट्रीयता के ज्वार को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के अभियान का दिन है।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना सहित,

संपादक

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