e-Magazine

बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर अभाविप ने जताया शोक

छात्रशक्ति डेस्क

भारत के जाने – माने इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का सोमवार को पुणे स्थित दीनानाथ मंगेशकर मेमोरियल अस्पताल में निधन हो गया। बाबासाहेब पुरंदरे देश के लोकप्रिय इतिहासकार, लेखक के साथ-साथ थिएटर कलाकार भी रह चुके थे। श्री पुरंदरे को छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपने विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। बाबा पुरंदरे ने शिवाजी के जीवन से लेकर उनके प्रशासन और उनके काल के किलों पर भी कई किताबें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने छत्रपति के जीवन और नेतृत्व शैली पर एक लोकप्रिय नाटक- जानता राजा का भी निर्देशन किया था। उन्हें पद्मविभूषण एवं महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

बाबा पुरंदरे के  निधन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने गहरा शोक व्यक्त  किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से अपने श्रद्धांजलि में अभाविप ने कहा है कि  प्रसिद्ध इतिहासकार, नाटककार और छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा को अपनी लेखनी के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने वाले बाबासाहेब पुरंदरे जी का निधन अत्यंत दुःखद है। अभाविप ईश्वर से पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान देने और परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करती है। ऊँ शांति।

बाबासाहेब पुरंदरे 99 वर्ष के थे। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, श्री पुरंदरे को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां बाद में हालात गंभीर होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और सोमवार को उनका निधन हो गया। उनके निधन पर देश भर में शोक की लहर दौड़ गई, रा. स्व. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत अनेक राजनेता, समाजधर्मी, रंगकर्मी, कलाकारों ने शोक व्यक्त किया है।

रा.स्व.संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनके निधन पर शोक संदेश में कहा है कि –

READ  #JNUSUElection : ABVP demands Election Commission for Public Disclosure of Ballet Paper Printing and Usage Numbers

पद्मविभूषण व महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित आदरणीय श्री बलवंत मोरेश्वर अर्थात् बाबासाहेब पुरंदरे के निधन से हम सभी ने एक शतायुषी शिव ऋषि को खोया है। युवा अवस्था में ही उन्हें देशभक्ति की परम्परा का पाठ संघ शाखा से प्राप्त हो गया था। वह उद्देश्य मन में रखकर ध्येय प्राप्ति हेतु तत्व रूप आदर्श पुरुष के स्वरूप में छत्रपति श्रीमंत शिवाजी महाराज को रखकर उसी भक्ति को उन्होंने निष्ठा पूर्वक जीवनपर्यंत संजोये रखा। दादरा नगर हवेली के मुक्ति संग्राम में भी वे एक योद्धा थे । अपने वक्तृत्व की साधना पर जीवनपर्यंत अत्यंत परिश्रम करते हुए उन्होंने शिवाजी महाराज की कथा को घर-घर तक पहुँचाया। कठिनतम परिस्थितियों में मार्ग बनाते हुए उन्होंने ‘जाणता राजा’ जैसे एक भव्य व प्रेरक महानाट्य शिल्प को साकार किया । अब ऐसे परिश्रमी शिवशाहीर देशभक्त का पार्थिव भले ही हमारी दृष्टि से ओझल होगा, परंतु उनका स्फूर्तिदायक जीवन शिवाजी महाराज के प्रताप व प्रेरणाओं को कभी ओझल नहीं होने देगा ।

उनकी पवित्र व प्रेरक स्मृति में मैं व्यक्तिगत व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ।

 

×
shares