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अभाविप की बड़ी जीत, बीएचयू के बीवीएससीएएच पाठ्यक्रम को मान्यता देने की अनुशंसा

छात्रशक्ति डेस्क

भारतीय पशु चिकित्सा परिषद ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में संचालित बीवीएससीएएच पाठ्यक्रम को मान्यता देने कि लिए अनुशंसा कर दी है। यह अनुशंसा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लगातार संघर्ष के कारण संभव हो पाया है। इस अनुशंसा के बाद अनेकों छात्रों ने राहत की सांस ली है। दरअसल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संचालित पशु चिकित्सा विज्ञान व पशुपालन में स्नातक(बीवीएससीएएच)  की पढ़ाई करने वाले छात्र संशय के घेरे में चल रहे थें, क्योंकि इस पाठ्यक्रम को अभी तक मान्यता नहीं मिल पाया था। अभाविप इन पाठ्यक्रमों को भारतीय पशु चिकित्सा परिषद से मान्यता दिलाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही थी,  अभाविप के लंबे संघर्ष और मांग पर अब जाकर प्रशासन का ध्यान गया, फलस्वरूप भारतीय पशु चिकित्सा परिषद् ने पाठ्यक्रम को मान्यता के लिए भारत सरकार से अनुशंसा कर दी है ।

भारतीय पशु चिकित्सा परिषद की बैठक में भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन व डेयरी विभाग को भारतीय पशु चिकित्सा परिषद् अधिनियम के सेक्शन 15 के तहत अनुशंसा की गई कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के अंतर्गत पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान संकाय द्वारा संचालित पशु चिकित्सा व पशुपालन में स्नातक (बी.वी.एससी.ए.एच.) पाठ्यक्रम को मान्यता दे दी जाए। यह पाठ्यक्रम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर, बरकछा, में चलाया जाता है। परिषद की अनुशंसा को भारत सरकार द्वारा स्वीकार किये जाने पर 2017-18 बैच से विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। इससे पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान संकाय सालाना 60 विद्यार्थियों को प्रवेश दे सकेगा। साथ ही साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय देश के उन चुनिंदा संस्थानों में शुमार हो जाएगा जो बी.वी.एससी.ए.एच की डिग्री देने के लिए अधिकृत हैं।

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अनुशंसा के बाद छात्रों के साथ-साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं में हर्ष का माहौल है। अभाविप ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय देश भर में ख्याति प्राप्त शैक्षिक संस्थान है। छात्र इस विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए देश के कोने –कोने से आते हैं परंतु कुछ वर्षों में ऐसा देखा गया है कि प्रशासनिक उदासीनता एवं लापरवाही के कारण विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के अंतर्गत पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान संकाय द्वारा संचालित पशु चिकित्सा व पशुपालन में स्नातक  बी.वी.एससी.ए.एच) पाठ्यक्रम को भारतीय पशु चिकित्सा परिषद की मान्यता ही नहीं प्राप्त थी, जिस कारण इस पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले या पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र न तो आगे अभ्यास के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते थे और ना ही अन्य संस्थान में आगे की शिक्षा हेतु प्रवेश अहर्ता रखते थे। छात्र इंटर्नशिप भी नहीं कर सकते थे, जिस कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ था।

अभाविप ने छात्रों की समस्याओं की समाधान के लिए लंबा संघर्ष किया। क्रमबद्ध तरीके से आंदोलन/ प्रदर्शन किए, ज्ञापन सौंपे फिर भी प्रशासन की ओर से ठोस पहल नहीं किया गया तब जाकर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर बैठ गए। आंदोलनों की शृंखला चलती रही। अभाविप के संघर्ष का ही परिणाम है कि आज इस पाठ्यक्रम को मान्यता मिलने की दिशा में अंतिम पड़ाव पार हो रहा है। अभाविप बीएचयू इकाई अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हम आशा करते हैं कि कि मान्यता की अंतिम संस्तुति हेतु लंबित औपचारिकता भी जल्दी पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण मान्यता मिलने में विलंब के कारण कई विद्यार्थियों का जो समय खराब हुआ उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती परंतु भविष्य के लिए अब उनकी राह आसान हो गई है। वहीं बीएचयू इकाई मंत्री पुनीत मिश्र ने कहा कि इस पाठ्यक्रम को मान्यता दिलाने के लिए हमलोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे, कई आंदोलन किए। आज उन आंदोलनों की जीत होती दिख रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन को यह पहल बहुत पहले करना चाहिए था परंतु देर से ही सही छात्रों को न्याय मिला है। परिषद सभी अध्ययनरत विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करती है।

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