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बड़ौदा : भूख हड़ताल पर बैठे अभाविप कार्यकर्ता, परीक्षा के 65 दिन बीत जाने के बाद भी नहीं जारी हुआ है परिणाम

छात्रशक्ति डेस्क

बड़ौदा(गुजरात) : परीक्षा के 65 दिन बीत जाने के बावजूद  गुजरात के बड़ौदा स्थित महाराजा सैयाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) के द्वारा परीक्षा परिणाम जारी नहीं किए जाने के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता 22 जुलाई को भूख हड़ताल पर बैठ गए। भूख हड़ताल के दौरान कई परिषद कार्यकर्ता बेहोश हो गए। अभाविप के बढ़ते विरोध को देखते हुए पांच अगस्त तक परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने की बात कही गई है। विद्यार्थी परिषद ने बताया कि बड़ौदा विश्वविद्यालय के टी.वाइ. बीकॉम के आठ हजार से अधिक परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, परीक्षा के 65 दिन बीत जाने के बावजूद विश्वविद्यालय के द्वारा परिणाम प्रकाशित नहीं किया जाना घोर लापरवाही है। विद्यार्थी परिषद ने इस विषय को लेकर पांच बार वि.वि.प्रशासन को ज्ञापन दिया लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, विवश होकर हमलोगों को भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा।

भूख हड़ताल पर अनेकों कार्यकर्ताओं के साथ अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य निशीतभाई वरीआ, एमएसयू अध्यक्ष देवांश ब्रह्मभट्ट और उपाध्यक्ष रूषिक मकवाणा भी उपस्थित थे। भूख हड़ताल के 24 घंटे बीत जाने के बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी बीच भूख हड़ताल के दूसरे दिन एमसीयू अभाविप के उपाध्यक्ष रूषिक मकवाणा का स्वास्थ्य खराब हो गया और वो बेहोश हो गए। बेहोशी के हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। अभाविप कार्यकर्ताओं के गिरते स्वास्थ्य और बेहोशी की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को होश आया और विश्वविद्यालय के कुलपति ने परिस्थिति का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने वीडियो कॉल के माध्यम से अभाविप के कार्यकर्ताओं से बात की। मौके पर कॉमर्स फैकल्टी के डीन भी मौजूद थे। अभाविप के बढ़ते विरोध के बाद इस विषय को गंभीरता से लिया गया। हालांकि अभाविप कार्यकर्ता इतने से संतुष्ट नहीं हुए कार्यकर्ताओं ने परीक्षा परिणाम की देरी पर स्पष्टीकरण मांगा, इस पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने अपना बयान जारी किया कि बार कोड रीड नहीं हो पाने की वजह से परिणाम की प्रक्रिया में देरी हो रही है। कुलसचिव के इस बयान के बाद अपना रुख स्पष्ट करते हुए अभाविप ने कहा कि इस बयान से ना तो हम संतुष्ट हैं और ना ही यह समस्या का समाधान है। परिषद ने एक समयावधि तय करने की मांग जारी रखी। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने विषय की संवेदनशीलता को समझा और 5 अगस्त तक परिणाम घोषित करने का आश्वासन दिया। कॉमर्स फेकल्टी के डीन ने परिषद के कार्यकर्ताओं का उपवास छुड़ाया और भूख हड़ताल समाप्त की।

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