शिक्षा से स्त्री सशक्तिकरण का मार्ग दिखाने वाली सावित्रीबाई फुले
विश्व के हर समाज में चेतना और जड़ता का चक्र अनवरत चलता रहता है| चेतना के उत्कर्ष के काल में समाज प्रगति करता है| समाज के सभी व्यक्ति सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक और अध्यात्मिक रूप से विकास करते ह...
पराक्रम के 50 वर्ष
भारतीय सेना ने यूं तो पाकिस्तान को कई बार धूल चटाये हैं चाहे 1947 हो,1965 हो, 1971 हो या 1999 का कारगिल युद्ध। हर बार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी परंतु पाकिस्तान है कि अपने नापाक इरादे से बाज नहीं...
भारत के समग्र विकास को समर्पित डॉ.भीमराव राम जी अम्बेडकर
डॉ अम्बेडकर जिनको दलितों का मसीहा कहा जाता हैं क्या वास्तव में वो सिर्फ दलित समाज के ही नेता थे? इसका विश्लेषण करने की आवश्यकता है। अम्बेडकर के चिंतन को पढ़ने पर ज्ञात होता है, उन्होंने मात्र वंचित...
गुरु नानक की शिक्षा के सूत्र से बंधा सनातन बंधुत्व
भारत अन्य अनेक देशों की तरह विशेष प्रकार की ऐतिहासिक और राजनीतिक परिस्थितियों से नहीं जन्मा और न ही यह किसी राजपरिवार या समुदाय की राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतिफल है| यह एक नैसर्गिक सांस्कृतिक-भौगोलिक...
स्त्री शक्ति की प्रतीक – महारानी लक्ष्मीबाई
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी भारतीय वीरांगना थी, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए रणभूमि में हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। 1857 में हुए भारत की स्वतंत्रता संग्राम इन्होंने अपने रक्त से लिख...
विलक्षण प्रतिभा की धनी – महारानी लक्ष्मी बाई
मनु से महारानी और फिर भारत के जन-जन की रगों में स्वतंत्रता का संकल्प भरने की यात्रा पूर्ण कर सदा सदा के लिए अमृत प्राप्त करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई प्रत्येक युवा की आदर्श हैं। मैं जब-जब उनको याद कर...
#JanajatiGauravDiwas : भारत का गौरव है जनजाति समाज जीवन दर्शन
भारत विविधताओं से भरा देश है, परन्तु उस विविधता में भी एकता का दर्शन करवाने वाली संस्कृति, सभ्यता यहां की विरासत है। भारत की संस्कृति विश्व के कल्याण का संदेश देते हुए भारत वासियों में जीव मात्र के कल...
जनजातीय समाज के अधिकारों को लेकर सजग रहे डॉ कार्तिक उरांव
डा कार्तिक उरांव जनजातीय समाज के अधिकारों की लडाई के अग्रदूत थे । मतांतरित हुए जनजातीय समाज के लोगों को आरक्षण का लाभ न मिले इसे लेकर उन्होंने काफी प्रयत्न किया था । उनका मानना था कि मतांतरित हुए जनजा...
विश्व-भाषा की ओर अग्रसर हिंदी
14 सितम्बर 1949 को हिंदी देश की राजभाषा बनी। तबसे हिंदी ने कई उतार-चढ़ाव देखे फिर भी हिंदी देश एवं दुनिया में सतत आगे बढ़ती जा रही है। आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है, इसका विस्तार विश्व के लगभग 130...
वरदान साबित होता अभाविप का ऋतुमति अभियान
मासिक धर्म से जुड़े हुए चुनौतियों के साथ कई तरीके की मिथक धारणाएं भी जुड़ी हुई हैं। परंतु भारत में वैदिक काल से ही रजस्वला स्त्री से संबंधित कई ऐसी रीतियां हैं जो रज महिलाओं के मान सम्मान और समाज में...